Sunday 7 December 2014

मेष राशिफल 2015(Aries Horoscope 2015)

मेष राशिफल 2015(Aries Horoscope 2015) : यह वर्ष हर प्रकार से उपलब्धियों वाला रहेगा यदि दशा अच्छे ग्रह की है तो , परन्तु आपका स्वास्थ्य इस वर्ष बहुत सावधानी रखने की ओर इशारा कर रहा हैं क्योंकि शनि का अष्टम में आना शुभ सूचक नहीं है , अतः बहुत ध्यान दें , मेष राशि वालों के लिए इस पूरे वर्ष शनि की ढैया भी रहेगी !
ॐ नमः शिवाय !

Tuesday 23 September 2014

गुरु(Jupiter) ग्रह और उसका प्रभाव

गुरु(Jupiter) ग्रह और उसका प्रभाव 
गुरु, जैसा नाम वैसा ही प्रभाव , जिस किसी की कुंडली में गुरु का अच्छा प्रभाव है , निःसंदेह वह व्यक्ति एक अच्छा इंसान होगा , गुरु के मजबूत होने पर व्यक्ति धार्मिक स्वभाव का , समाज के प्रति चिंतनशील , दूसरों की सहायता करने वाला तथा दूसरों पर तुरंत विश्वास करने वाला होता है , प्रवृत्ति थोड़ी आलसी होती है।  परन्तु यदि गुरु ख़राब हो तो नास्तिक स्वभाव , माता - पिता और स्वजनों से बैर रखने वाला और कुत्सित विचार धारा वाला होता है।  मीठे के प्रति रूचि तथा थोड़ा स्थूल शरीर जरूर होगा।  मधुमेह तथा थॉइरॉइड जैसी समस्या होने की प्रबल सम्भावना होती है। अच्छे गुरु वालों के पास धन हो या ना हो परन्तु इंसानियत अवस्य होती है और इन पर बुरे वक्त में आँख बंद कर भरोसा किया जा सकता है। यदि आपका गुरु अच्छा है तो व्यसन और मांसाहार से दूर रहें , गुरु का अच्छा होना सौभाग्य की बात है।
पं. दीपक दूबे (Astro Deepak Dubey)

Saturday 20 September 2014

बुध(Mercury ) ग्रह और उसका प्रभाव

बुध(Mercury ): कुंडली में मजबूत बुध सोचने - समझने , तर्क करने , वाकपटुता तथा निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता प्रदान करता है। गणितज्ञ , वैज्ञानिक , तर्कशास्त्री , शिक्षक , वकील , सफल व्यापारी इत्यादि में यह मजबूत होता ही है। बुध से प्रभावित व्यक्ति की सोच तीव्र होगी इसमें कोई संदेह नहीं है , परन्तु वह सोच सकारात्मक होगी या नकारात्मक यह बुध की स्थिति तथा अन्य ग्रहों से युति पर निर्भर करता है , राहु के साथ मजबूत बुध व्यक्ति को जोड़ - तोड़ में पारंगत बना देता है , सच को झूठ और झूठ को सच बताने तथा मनवाने की अद्भुत क्षमता होती है इनमे, विशेष कर यदि यह लग्न , दूसरे या पंचम भाव में हो तो। बुध से पित्त तथा चर्म रोग होने की प्रबल सम्भावना बनती है , छठे , सातवे या आठवे भाव में बुध -शुक्र -मंगल की युति सेक्स सम्बन्धी अक्षमता प्रदान कर सकता है , ख़राब बुध नपुंसकता का सबसे बड़ा कारक है।
ॐ नमः शिवाय !

मंगल (Mars)

मंगल : मंगल से यदि लग्न का सीधा सम्बन्ध हो और शुभ ग्रहों का भी प्रभाव हो तो व्यक्ति सदैव युवा जोश से भरा रहता है और हमेशा अपनी वास्तविक उम्र से कम का दिखता है , आत्मविश्वास और दूसरों की रक्षा करने की भावना से ओत - प्रोत होता है। परन्तु अकेला या दूषित ग्रहों का प्रभाव हो तो शक्तिशाली और आत्मबल की अधिकता तो तब भो रहेगी परन्तु क्रोध , उदंडता , निर्दयता और अहंकार की भी अधिकता हो जाती है। मंगल से प्रभावित हैं तो क्रोध और अहंकार से बचें , अन्यथा शनि और राहु दिन में तारे दिखा देते हैं। 
ॐ नमः शिवाय !

Tuesday 16 September 2014

चंद्रमा(The Moon) :

चंद्रमा : चंद्रमा किसी भी व्यक्ति की कुंडली सबसे अधिक प्रभावित करने वाला ग्रह है , क्योंकि इसका सीधा प्रभाव स्वास्थ्य , मन और धन तीनों पर ही पड़ता है चाहे यह कहीं भी बैठा हो।
कमजोर चंद्रमा के कारण आत्मबल में कमी , उदासीनता , अकेलापन , आर्थिक विषमता , पारिवारिक सुख में कमी तथा कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है , कई बार यह अधिक दूषित होने पर व्यक्ति को नशे तथा व्यसन का आदी बना देता है , इसके बुरे प्रभाव से व्यक्ति मनोरोगी तथा निकम्मा तक हो सकता है।

वहीं मजबूत चंद्रमा इसका विपरीत प्रभाव देता है, हंसमुख चेहरा , भरपूर आत्मबल , पारिवारिक सुख , आर्थिक स्थिरता तथा पुरुषों की कुंडली में स्त्रियों का सम्बन्ध तथा सहयोग बढ़ा देता है। 

Monday 15 September 2014

सूर्य (Sun):

सूर्य : कुंडली में मजबूत सूर्य से उत्साह , समाज में सम्मान , कमजोरों की मदद करने की भावना , तथा अद्भुत प्रशासनिक क्षमता होती है, परन्तु इन सभी गुणों के साथ - साथ अहंकार की अधिकता होने की सम्भावना भी बहुत अधिक होती है। यदि आपका सूर्य अच्छा है तो अहंकार से बचें , अन्यथा शनि की दशा, साढ़े साती या ढैया अत्यंत कष्टकारी हो जाएगी , और अहंकार टूट जायेगा !

Friday 12 September 2014

मांगलिक दोष

मांगलिक दोष : अधिकांशतः लोग मांगलिक कुण्डलियाँ स्वयं या कंप्यूटर से मिला लेते हैं। लड़के और लड़की  की कुंडली में यदि मांगलिक दोष मिल गया तो प्रसन्न होकर स्वयं ही फैसला ले लेते हैं और विवाह कर लेते हैं। जबकि यह बहुत बड़ा भ्रम है।  यह बात आज इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि किसी को मांगलिक दोष था और दोनों कंप्यूटर से मांगलिक दोष का निर्णय देखकर विवाह कर बैठे , नतीजा परेशानियां शुरू , किसी ने सलाह दे दी कि आप दोनों दुबारा शादी कर लो , दोष खत्म हो जायेगा।
मंगल की उपस्थिति और दृष्टि अपने घर और उच्च राशि के अलावा हानिकारक ही होती है , अलग - अलग भाव से बनने वाली  मांगलिक कुंडली के कारण वैवाहिक जीवन में अलग - अलग तरह की परेशानियां आती हैं , जैसे -
  1. आर्थिक समस्या के कारण वैवाहिक जीवन में अत्यधिक तनाव फिर संबंध विच्छेद या दुरी
  2. सास - ससुर से ना निभने के कारण पति - पत्नी में अत्यधिक तनाव फिर संबंध विच्छेद या दुरी
  3. किसी के अत्यधिक क्रोध और वैचारिक मतभेद के कारण अत्यधिक तनाव फिर संबंध विच्छेद या दुरी
  4. और सबसे खतरनाक जीवन साथी की मृत्यु के कारण संबंध विच्छेद

बेहतर हो वैवाहिक बंधन में बंधने से पूर्व किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श ले लें , अन्यथा बाद के दुःख असहनीय होते हैं , और हाँ दूसरी बार विवाह करना समाधान  नहीं है , इसका एक मात्र उपचार मन्त्र अनुष्ठान ही है।
ॐ नमः शिवाय
ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे

Thursday 28 August 2014

गणेश चतुर्थी को करें केतु की शांति:

गणेश चतुर्थी को करें केतु की शांति: 

“केतु की शांति के लिए भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्त्व है। यदि आपकी केतु की महादशा या अंतर दशा चल रही है, या केतु के प्रभाव के कारण नौकरी, व्यापार या स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या आ रही है तो इस दिन आप स्वयं या किसी विद्वान के द्वारा भगवान गणेश के “ॐ गं गणपतये नमः’’ मंत्र का 21000 जप अनुष्ठान, संकल्पित होकर करें। गणेश भगवान को दूब(घास) जिसे दूर्वा भी कहा जाता है, अर्पित करें और प्रसाद में मोतीचूर के लड्डू अवश्य चढ़ाएँ। मन्त्र जप पूरा होने पर उसके दशांश (जप संख्या का दसवां भाग) से हवन करें, तथा यथा सामर्थ्य ब्राह्मणों को भोजन तथा दान दें। केतु सम्बंधित समस्या से अवश्य छुटकारा मिलेगा।”
- ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे

पढ़ें गणेश चतुर्थी पर मेरा लेख -



Friday 22 August 2014

RAHU Gochar 2015 Rashifal

हजारों वर्ष बाद -इस सितम्बर बन रहा है ग्रहों का सबसे अद्भुत योग;

इस सितम्बर बन रहा है सहस्राब्दी का सबसे अद्भुत योग;

हज़ारों वर्षों बाद इस वर्ष सितम्बर माह में एक निश्चित दिन और समय पर ग्रहों का अद्भुत और शुभ संयोग बन रहा है। इस योग में पैदा होने वाला कोई ना कोई बच्चा विश्व इतिहास में अवतार स्वरूप होगा। आइए आप सबको यह बताते हैं कि वह शुभ घड़ी कब आ रही है जिसका हम सभी को एक बार फिर बड़ी बेसब्री से इंतज़ार है? ऐसा वह कौन सा दिन है जिसमें जन्मा बालक होगा एक अवतार? कौन से ऐसे योग हैं जो पिछले हज़ारों वर्षों में नहीं आए? कैसी ग्रहों की स्थिति है जो अद्भुत है? यह एक ऐसी तारीख और ऐसा समय है जिसमें सभी ग्रहों की ऐसी स्थिति कम-से-कम पिछले २ हज़ार वर्षों में नहीं आई है।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, विष्णु के पूर्ण अवतार माने जाने वाले भगवान कृष्ण, तथा विष्णु के अंशावतार कहे जाने वाले गौतम बुद्ध; इन सभी अवतारों के जन्म के समय ग्रहों का अद्भुत संयोग था। जिसकी चर्चा मैं अपने पहले लेख में कर चुका हूँ। सितम्बर माह में बनने वाला यह योग तो राम के अलावा कृष्ण और गौतम बुद्ध के समय भी नहीं था। राम, कृष्ण, और गौतम बुद्ध को अवतार मानने में उस युग के लोगों को भी दशकों का समय लग गया। वैसे ही इस समय भी जो युग पुरुष पैदा होगा उसे भी दुनिया कब पहचानेगी और वह कहाँ जन्म लेगा यह भविष्यवाणी मैं अभी नहीं कर सकता (आगे करने का प्रयास करूंगा)। हो सकता है जब उसकी पहचान हो मैं इस दुनिया में ना रहूँ, परन्तु इतिहास इस दिन को जानेगा भी, और मानेगा भी, यह तय है।

वर्तमान में अराजकता और अपराध पराकाष्ठा पर है। इतिहास गवाह है कि जब-जब स्त्रियों के साथ दुराचार, संतों और निरपराध लोंगो के साथ अत्याचार, प्रकृति के साथ छेड़-छाड़, गौ हत्या की पराकाष्ठा हुई है; और तत्कालीन व्यवस्था उसे नियंत्रित करने में असमर्थ हुई है; या यूँ कहूँ कि तत्कालीन शासन व्यवस्था ही इन अपराधों का अंग बन गयी है; तब-तब ईश्वर ने पृथ्वी पर अवतरित होकर इसे भार मुक्त किया है। वर्तमान परिस्थिति में समाज की क्या दशा है, स्त्रियों की क्या स्थिति है इसपर कुछ नहीं कहना चाहूँगा क्योंकि यह सब आपको ज्ञात है।

रामायण में गोस्वामी तुलसी दास जी ने लिखा है, "विप्र, धेनु, सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार"। यहाँ ‘विप्र’ अर्थात ब्राह्मण नहीं बल्कि ज्ञानी पुरुष, ‘सुर-संत’ अर्थात ऐसे लोग जो सत्य की राह पर चलते हैं, तथा समाज का भला सोचते हैं।

ऐसे ही महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को नारियों की अस्मिता की रक्षा को लेकर कहा है:

क्रोश्यन्त्यो यस्य वै राष्ट्राद्ध्रियन्ते तरसा स्त्रियः। 
क्रोशतां पतिपुत्राणां मृतोऽसौ न च जीवति ॥३१॥ 

(अध्याय ६१, अनुशासनपर्व, महाभारत)

अर्थात - "जिस राजा के राज्य में चीखती-चिल्लाती स्त्रियों का बलपूर्वक अपहरण होता है और उनके पति-पुत्र रोते-चिल्लाते रहते हैं, वह राजा मरा हुआ है न कि जीवित।"

और वर्तमान में शक्ति स्वरूपा स्त्रियों की क्या स्थिति है यह बताने की आवश्यकता नहीं।

यहाँ तुलसी दास रचित रामायण की एक और पंक्ति को कहना चाहूंगा:

जब-जब होंहि धरम की हानि, बाढहिं असुर अधम अभिमानी। 
तब-तब प्रभु धरी विविध शरीरा, हरिहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।। 

जब कभी भी लगभग सभी ग्रह उच्चस्थ, स्वराशिस्थ हों, मार्गी हों; सूर्य और चद्रमा राहु-केतु और शनि के प्रभाव में ना हों, तिथि और योग भी शुभ हों और साथ में नक्षत्र भी शुभ हों तो इतिहास गवाह है कोई अवतार ही हुआ है। ऐसा ही अद्भुत योग एक बार पुनः आ रहा है और यह योग हज़ारों वर्षों के बाद आ रहा है। अतः कोई अवतार तो अवश्य होगा।

मैं ज्योतिष में और ईश्वर में आस्था रखने वाला व्यक्ति हूँ और इसीलिए ज्योतिष तथा अपने पवित्र पौराणिक, आध्यात्मिक, और ऐतिहासिक ग्रंथों को आधार और उदाहरण मानकर ही मैं यह भविष्वाणी कर रहा हूँ।

सबसे पहले देखते हैं कि उस दिन ग्रहों की स्थिति क्या है:

सूर्य - सिंह राशि (स्वराशि में )
चन्द्रमा - वृषभ राशि (उच्च का)
मंगल - वृश्चिक राशि (स्वराशि में )
बुध - कन्या  राशि में (बुध की स्व और उच्च राशि)
गुरु - कर्क राशि (उच्च राशि में )
शुक्र - सिंह राशि (सूर्य के साथ)
शनि - तुला राशि (उच्च राशि में )
राहु - कन्या राशि  (उच्च राशि में )
केतु - मीन राशि (उच्च राशि में )

भाव एवं दृष्टि योग 

उच्च का चन्द्रमा और स्वराशिस्थ मंगल का दृष्टि योग अर्थात दयालुता और पराक्रम की पराकाष्ठा।
उच्च का गुरु और उच्च के शनि का दृष्टि सम्बन्ध (राम, कृष्ण, और बुद्ध तीनों की कुंडली में उपस्थित), अर्थात अध्यात्म और सामाजिक सरोकार की पराकाष्ठा।
उच्च का बुद्ध अर्थात बुद्धि बल की पराकाष्ठा।
उच्च का गुरु अर्थात धर्म की पराकाष्ठा।
सूर्य और शुक्र की युति अर्थात राजसी ठाठ बाट और शान शौकत की पराकष्ठा साथ ही भव्य कलाकारी से युक्त राजमहल और लोगों को सुख, समृद्धि, और वैभव देने का अदम्य सामर्थ्य।
उच्च का शनि अर्थात न्याय की पराकाष्ठा।
उच्च का राहु और वह भी उच्च के बुध के साथ अर्थात गूढ़ नीति, युक्ति, राजनीति, कूटनीति, और विपरीत परिस्थितियों में भी अद्भुत संतुलन की पराकाष्ठा।
उच्च का केतु अर्थात अद्भुत पराक्रम, त्वरित और शक्तिशाली निर्णय लेने में समर्थ, अत्यधिक निर्भीक, विपरीत परिस्थितियों में भी अद्भुत शौर्य की पराकाष्ठा, मोक्ष प्रदाता।
गुरु की दृष्टि मंगल और गुरु की ही मीन राशि में स्थित केतु पर, अर्थात पराक्रम, शौर्य कूटनीति, राजनीती सबकुछ धर्म और समाज के लिए।

ग्रहों के साथ-साथ तिथि का भी अत्यंत महत्त्व है, तो तिथि भी है अष्टमी तिथि। अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यह तिथि, तिथियों में जया के नाम से जानी जाती है। यह अत्यन्त ही प्रभावशाली तिथि है, और माँ भवानी से  सम्बंधित है, अतः यह तिथि शक्ति स्वरूपा है।

दिन है सोमवार, अद्भुत योग, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, अतः दिन और तिथियों के योग को देखूँ तो शिव और शक्ति का अद्भुत संयोग।

और अब अंत में तारीख जिसका आपको बेसब्री से है इंतज़ार- वह है १५ सितम्बर, २०१४.

जी हाँ, १५ सितम्बर, २०१४ ऐसी तारीख है जिस दिन हज़ारों वर्षों के बाद बन रहा है यह अद्भुत संयोग। अब आपका अगला प्रश्न होगा की समय कौन सा है ?

वैसे तो इस दिन सभी ग्रहों की स्थिति ऐसी ही है। अतः इस दिन जन्मा प्रत्येक बच्चा अद्भुत ही होगा। परन्तु इसमें भी रात्रि काल में स्थूल मान से लगभग ०९:३० से ११ बजे के बीच जन्मा बच्चा सबसे प्रभावशाली होगा, क्योंकि इस दौरान:

लग्न - वृषभ 
योग - सिद्धि 
नक्षत्र - मृगशिरा 
तिथि - अष्टमी 

अर्थात १५ सितम्बर, २०१४ को रात्रि ०९:३० से ११ बजे के बीच (दिल्ली के समयानुसार)।

यह एक ऐसा समय निकलकर आ रहा है जब ग्रहों, नक्षत्र, तिथि, योग का हज़ारों वर्ष बाद ऐसा अद्भुत संयोग देखने को मिलेगा और अवश्य ही होगा कोई महावतार, जो  दुनिया को अपराध मुक्त करेगा और दिखायेगा भटकों को राह।

विशेष और विनम्र अनुरोध: 

आप सबसे मेरा यह विनम्र अनुरोध है कि यह संयोग ईश्वर स्वयं बना रहा है, इसमें हमारा और आपका कोई योगदान नहीं है। उस समय जन्मे हज़ारों बच्चों में से कोई एक ही अवतार होगा और वह भी उस माँ की गर्भ से जिसे ईश्वर ने स्वयं चुना होगा। अतः इस समय और तारीख को, आप जान बूझकर या ऑपरेशन के द्वारा ज़बरदस्ती किसी बच्चे को जन्म देने का प्रयास ना करें। हाँ किसी भी जन्मे बच्चे की ख़ुशी अवश्य मनाएँ।

अगली भविष्यवाणी: होने वाला है महा विनाश! २६ अगस्त, २०१४ को मेरे दूसरे लेख में पढ़े कि कौन सी वह तारीख और वर्ष है जब होगा दुनिया का सबसे बड़ा विनाश! कैसी होगी ग्रहों की सबसे विनाशकारी, अत्यंत ही भयावह और अशुभ युति। कौन सा वह दिन होगा जब संभवतः पृथ्वी पर बहुत कुछ समाप्त हो जायेगा। हज़ारों वर्ष बाद ऐसा विनाशकारी संयोग बन रहा है, ऐसा संयोग इस सहस्त्राब्दी में नहीं बना! ज्योतिषीय और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर।

ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे  - 9990260015(Astro Deepak Dubey)

Thursday 31 July 2014

राहु गोचर - 2015 , 2015 राहु , Raahu Gochar 2015, Rahu 2015


आपकी राशि पर 2015 में होने वाला राहु का प्रभाव और उपचार , देखें मेरा वीडियो -https://www.youtube.com/watch?v=lMw4S9IoDvc&list=PLPURdN8kWpLNF9EQMr5-Crf4ED14sab25

Thursday 3 July 2014

अष्टम का मंगल

अष्टम का मंगल :  किसी भी जातक की कुंडली में अष्टम का मंगल सबसे खतरनाक होता है , अक्सर यह जीवन साथी की मृत्यु का कारक हो जाता है , ऐसी स्थिति में विवाह करते समय लड़की या लड़के(जीवनसाथी) की कुंडली में उसका आयु बल का अवश्य विचार करें और विवाह से पूर्व तथा विवाह के तुरंत बाद विधिवत उपचार कराएं।
ॐ नमः शिवाय !
ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे - 9990260015